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धातु

संस्कृत व्याकरण में क्रियाओं (verbs) के मूल रूप को धातु कहते हैं। धातु ही संस्कृत शब्दों के निर्माण के लिए मूल तत्त्व (कच्चा माल) है। इनकी संख्या लगभग 3356 है। धातुओं के साथ उपसर्ग, प्रत्यय मिलकर तथा सामासिक क्रियाओं के द्वारा सभी शब्द (संज्ञा, सर्वनाम, क्रिया आदि) बनते हैं। दूसरे शब्द में कहें तो संस्कृत का लगभग हर शब्द अन्ततः धातुओं के रूप में तोड़ा जा सकता है। कृ, भू, स्था, अन्, ज्ञा, युज्, गम्, मन्, जन्, दृश् आदि कुछ प्रमुख धातुएँ हैं।

'धातु' शब्द स्वयं 'धा' में 'तिन्' प्रत्यय जोड़ने से बना है।

व्याकरणशास्त्र में पाँच अंगों की परम्परा दिखती है। इसीलिये 'पंचांग व्याकरण' भी प्रसिद्ध है। पाँच अंग ये हैं- सूत्रपाठ, धातुपाठ, गणपाठ, उणादिपाठ तथा लिंगानुशासन। इन पाँच अंगों में से धातुपाठ अतिमहत्वपूर्ण है। प्रायः सभी शब्दों की व्युत्पत्ति धातुओं से की जाती है। कहा गया है - सर्वं च नाम धातुजमाह ।

(१) कृ (करना)

  • संज्ञा : कार्य, उपकरण, कर्मन्, प्रक्रिया,
  • विशेषण : कर्मठ, सक्रिय, उपकारी,
  • क्रिया : करोति, नमस्कुरु, प्रतिकरोमि, कुर्मः

(२) भू (होना)

  • संज्ञा : भवन, प्रभाव, वैभव, भूत, उद्भव, भविष्य,
  • विशेषण : भावी, भावुक, भावात्मक, भौगोलिक
  • क्रिया : भविष्यति, अभवं, अभव, संभवेत्, संभवामि

(३) गम् (जाना)

  • संज्ञा : गति, आगन्तुक, जगत्, संगम, प्रगति, अन्तर्गामित्व, गन्ता
  • विशेषण : गमनशील, सर्वगत, निर्गामी, सुगम,
  • क्रिया : संगच्छ, निर्गच्छति, उपगमिष्यामि,

पाणिनीय धातुपाठ में धातुओं के निम्नलिखित वर्ग हैं-

  • 1. भ्वादि (भू +आदि)
  • 2. अदादि (अद् +आदि)
  • 3. जुहोत्यादि
  • 4. दिवादि
  • 5. स्वादि
  • 6. तुदादि
  • 7. रुधादि
  • 8. तनादि
  • 9. क्र्यादि (क्री + आदि ; कृ +आदि नहीं )
  • 10. चुरादि

संस्कृत (VERBS)

ROOT-VERB NOUNS ADJECTIVES VERBS ADVERB PREPOSITION
अट्
अर्घ -
अर्च् -
अर्ज् -
अर्थ् -
अर्प् -
अर्ह् - अर्हति
आश hope दुराशा , आश्वासन , विश्वास , आशा , अभिलाषा , अत्याशा
इट् – एटति
इष् – इच्छति; एषति चिकिर्षा
ईक्ष् (īkṣ) - अवेक्षे निरीक्षे(look) , समीक्षय (infront)
उत् - उद्यत:
उद्दल् –  उद्दलति
उद्दा – उद्ददाति
ऋच् -
ऋज् -
कथ् - कथयती
कम्प् - कंप
कर्त , कर्तयति
कष् – कषति
कांक्षा - काङ्क्षति
काश् - काशते प्रकाश
कास् – कासते
कुप्- कुप्यते
कुसुम् -
कुस्य - कुस्यती
कूज्
कूर्द् - कूर्दती
कृ -
कृष् - कर्षति , कृशती
कॢप् - कल्प
क्रम - kramati
क्रीड् - क्रीड़ाती
क्रुद्ध -
क्रोश् - क्रोशती
क्लिश् – क्लिश्नाति
क्लेद्य् - क्लेद्यती
क्वथ्
क्षम् -
क्षर्
क्षि - क्षयति
क्षिप् -
क्षुट् - क्षुटयति , क्षोटयति
क्ष्मील्
खंड् - खंड्यती
खन् - खनती
खाद्
गँधती
गणयती
गद् - गदती
गम् आगम(come), समागता(gather) , उपसंगम्य(approach) , प्रतिगम(toward) ,
गर्ज् thunder
गर्ह् - गर्हति
गाह् - गाहते `
गिल् - गिलती
गुह् - गुप्यती
गृह
गॄ - गृणाति
गै - गायती
ग्रथ्न्
ग्रसते
घट् - घातयति
घूर्ण्
घृ  – घरति
घृष्
घोल् - घोलयति
घोष् - घोषयति
घ्नती घ्नत , विघ्न (obstruct)
घ्रा जिघ्राति
चंड् - चन्डयति
चक्ष् - चक्षति , चेष्ठती
चर्
चर्च् - चर्चायति
चिंतयती
ची
चुट् - चुटती
चुम्ब् - चुंबती
चूर्ण् - चूर्णाती
चूल्यती
चेत् - चेतयति
चोरयती
च्युत
च्व् - च्वन्ती
छित्व - छिंदती
छिद् -
जन् - जायते born(जायते )
जप्
जम्ह - जंहति
जल्
जल्प
जि - जयति विजय(victory) , पराजित(defeat) , जयति
जीव् – जीवति
जृ
ज्ञ – जानति
ज्युत्
ज्वर् -
ज्वल्
तन् –  तनोति
तप् –  तपति
तप् –  तपति
तुज् – तोजयति
तृ - तर्
त्यज् - त्यजति
त्रस् – त्रस्यति
त्रुट् -
त्वच् -
दंश्
दध्म् -
दह् - दह्यते परिदह्यते
दा दत्त , प्रदा – प्रदत्ते - प्रदान
दिग्ध - प्रदिघ्दान
दीप्
दुष् - दुष्यति प्रदूष्यंति
दृश् - पश्यति पश्यति • (páśyati) , अनुपश्यमि(foresee , पश्यैताम (behold, प्रपस्यद्भि
धाव् - धावती
धे – धयति
ध्वृ - ध्वंसति
नम्
नश् - नाशयति प्रनश्यन्ती
नाद् - अभ्युनाद्यान(thunder) , विनाद्य (sound)
निंद्
निस्
नी - नय
पच् – पचति
पठ्
पत्
पद् – पद्यते उपपद्यते ,
पर्द् –  पर्दति
पा – पाययति पीयते
पिठ् – पेठति
पीड्
पुट्
पुष्
पू
पूय
प्रछ् – पृच्छति
प्री - प्रियति
प्लु – प्लवते
बन्ध् -
बुध् – बुधय्ति बुध्यते , दुर्बुद्धे , निबोध
बृह् -
ब्रू - ब्रावित
बल दुर्बल
भज् -
भञ -
भा - भायते
भिक्षते {भिक्ष्}
भू – भावयति
भू – भ्वति
भू – भ्वति
भूष् -
भृ – भरति
भ्यस् – भ्य्सते
भ्रमति भ्रमित , भ्रष्ट , केंद्रभ्रष्ट
भ्लाश् – भ्लाशते
मज्ज् - मज्जती
मसृण
मि –  मिरोति
मिश्र् – मिश्रयति
मृ – मरति
मृ –  मारयति
मृज्
म्ना – मनति मनस्य , मनोरंजन , मनमोहक , वैमनस्य , दौर्मनस्य
म्रद्
मोह मोह , सम्मोह , मूढ़ ,
यक्ष्
यभ्- यभति
यात् - याति
युज्
युत् - युत्सा प्रतियोत्स्यामी , युयुत्सव
रक्ष् - रक्षति रक्षितम
रञ्ज्
रट् - रटति
रस् - रसितुम्
राज् -
रिच् -
री – रीणाति
रु – रवीति
रुज् -
रुद् – रोदिति
रुध्
रै – रैयति
लक्ष्
लग् -
लभ् – लभते
लर्द् - लर्दयति
लल् – लालयति
लस् – लसति
लस्ज्
लिख् -
लिप् – लिम्पयति
लिप् – लेपयति
लिह् – लिहति
ली -
लुभ् – लुभति
वद्-वदति
वम् -
वल् – वलते
वह –  वहति
वह् -
वांछ्
वाच् उक्त ,
वात् - वाती
वास्
विदृ
विद् – विदति विन्दति
विधृ - व्यदर्धरति व्यादर्यात
विश् ( विशति ) उपविश (sit)
वीक् - विकसती
वृ – वरति; वरयति
वृज (वर्जति )
वृत् – वर्तते निवर्तितुम , वर्तयति , वर्तुल
वृध् -
शंश्
शक् - शक्नोति आसक्ति , शक्तिहीन , शक्तिमान , शक्ति , शक्नोमी
शास् - शासते
शिक्ष् - शिक्षति
शी -
शुच् -
शुष् – शुषति परिशुष्यति
शृ
श्यै (शीयति )
श्रम् – श्राम्यति , श्रमति
श्रि - श्रयति
श्लीष्ठ्
श्वस्
श्वित् – श्वेतते
षप् -
सञ -
सद् – सीदति सीदन्ती , उत्साद्यते
सर्प् -
साध्
सीद् -
सुट्ट्
सृज - विसृज्य ,
स्कन्द् -
स्खल्
स्था
स्थापया
स्पष् -
स्फुर् - स्फुरति
स्मित
स्रंस् - स्रंसते
स्रु - स्रावति
स्वद् –  स्वदते
स्वप् – स्वपिति
स्विद् (स्वेदयति )
हन् - हन्ति उपहत , हत्या
हर्
हस्
हा - हानि
हिंस् -
हृष - हर्षम
सौहार्द, हार्दिक
  • रचना - रच्
  • निर्माण - निर्म
  • वर्ण - वर्णायति
अभि + लष् – चाहना
आ + काङ्क्ष् – चाहना
आ + लप् – बातें करना
आ + नन्द् – प्रसन्न होना
परि + अट् – घूमना
प्र + शंस् – प्रशंसा करना
वि + लस् , चमकना
अप + हृ ( अपहर) – अपहरण करना
आ-क्रुश् (आक्रोश) – चिल्लाना, कोसना
आ + नी (आनय) – लाना
आ + श्रि (आश्रय ) – आश्रय लेना
अव + बुध् (अवबोध) – समझना
ली (लय) – पिघलना, लय होना
आ + रुह् (आरोह) – चढ़ना
अव + रुह, (अवरोह) – उतरना
आ + ह्वे (आह्वय) – बुलाना
आ + हृ (आहर) – लाना, ले आना
उप + हृ ( उपहर) – उपहार देना
प्र + हृ ( प्रहर) – पीटना, प्रहार करना
वि + हृ ( विहर) – मनोरंजन करना, विहार करना, खेलना
सम् + हृ (संहर) – समेटना, एकत्र करना, संहार करना
परि + हृ (परिहर) – बचना, दूर करना
वि + अव + हृ (व्यवहर) – व्यवहार करना
वि + आ + हृ (व्याहर) – बोलना
उद् + आ + हृ (उदाहर) – सोदाहरण निरूपण करना
स्मृ (स्मर) – स्मरण करना
वि + स्मृ (विस्मर) – भूल जाना
सृ- (सर) – सरकना, हिलना-जुलना
अनु + सृ (अनुसर) – अनुसरण करना
उप + सृ (उपसर) – पास जाना
अप + सृ – दूर हटना
उप + सृ (उपसर) – पास जाना
अनु + गम् (अनुगच्छ) – पीछे चलना, अनुगमन करना
अनु + सृ (अनुसर) – अनुसरण करना
अनु + स्था (अनुतिष्ठ) – संपन्न करना
अप + गम् (अपगच्छ) – हटना दूर चले जाना
अप + सृ – दूर हटना
अप + हृ ( अपहर) – अपहरण करना
अभि + लष् – चाहना
अर्च – पूजा करना
अर्ज् – कमाना, अर्जित करना
अर्ह् – योग्य होना
अव + गम् ( अवगच्छ) – समझना
अव + तृ (अवतर) – उतरना
अव + बुध् (अवबोध) – समझना
अव + रुह, (अवरोह) – उतरना
अव् – रक्षा करना
आ + क्रम् (आक्रम) – हमला करना, आक्रमण करना
आ + गम् (आगच्छ ) – आना
आ + चम् (आचाम) – आचमन करना
आ + नी (आनय) – लाना
आ + रुह् (आरोह) – चढ़ना
आ + हृ (आहर) – लाना, ले आना
आ + ह्वे (आह्वय) – बुलाना
आ + काङ्क्ष् – चाहना
आ + नन्द् – प्रसन्न होना
आ + लप् – बातें करना
आ + श्रि (आश्रय ) – आश्रय लेना
आ-क्रुश् (आक्रोश) – चिल्लाना, कोसना
ईर्ष्य् – ईर्ष्या करना
उद् + आ + हृ (उदाहर) – सोदाहरण निरूपण करना
उद् + तृ (उत्तर) – उत्तर देना
उद् + स्था (उत्तिष्ठ) – बड़े होना, उठना
उप + गम् (उपगच्छ) – पास जाना
उप + स्था – उपस्थित होना
उप + हृ ( उपहर) – उपहार देना
क्रुश् (कोश) – रोना, पुकारना
क्षर् – बहना
क्षि (क्षय) – क्षीण होना
खञ्ज – लंगड़ाना
खन् – खोदना
गद् – कहना
गम् (गच्छ ) – जाना
गम् (गच्छ) – जाना
गर्ज् – गरजना
गर्व् – गर्व करना
गर्ह – निन्दा करना
गल् – टपकना
गै (गाय) – गाना
ग्लै (ग्लाय) – मुर्झाना, उदास होना, विषण्ण होना
घ्रा (जिघ्र) – सूंघना
चर्व – चबाना
चुम्ब् – चुम्बन करना, चूमना
जि (जय ) – जीतना
जृ ( जर) – बूढ़ा होना
ज्वल् – जलना
तप् – चमकना
तर्ज् – धमकाना
तृ- (तर) – (अपसर) - पार करना, तैरना, तरना
त्रस् – डरना
दंश (दश) – डसना, डंक मारना
दह् – जलाना
दा (यच्छ) – देना
दृ (दर) – डरना
दृश् (पश्य) – देखना
द्रु (द्रव) – पिघलना
धृ (धर) – , धरना, धारण करना
धृष् (घर्ष) – अपमान करना, धृष्टता करना, नाराज करना
ध्मा (धम) - फूँकना, बजाना
ध्यै (ध्याय) – ध्यान करना
निर् + गम् (निर्गच्छ ) – बाहर जाना
नी (नय) – ले जाना
परि + हृ (परिहर) – बचना, दूर करना
परि + अट् – घूमना
पा (पिब) – पीना
प्र + हृ ( प्रहर) – पीटना, प्रहार करना
प्र + शंस् – प्रशंसा करना
प्रति + गम् (प्रतिगच्छ ) – वापिस जाना
फल् – फल आना, फल निकलना
फुल्ल् – विकसित होना, खिलना
बुक्क् – भौकना
बुध् (बोध) – जानना
भण् – कहना
भष् – भौकना
भू (भव) – होना
मन्थ्, मथ् – मथना
मुर्च्छ् (मुर्च्छ) – मूर्छित होना
म्लै (म्लाय) – मुर्झाना
राज् – चमकना
रिङ्ग् – रेंगना, सरकना
रुह् (रोह) – उगना
लग् – सक्त होना, चिपकना
ली (लय) – पिघलना, लय होना
लुष्ठ – लूटना
वप् – बीज बोना
वि + अव + हृ (व्यवहर) – व्यवहार करना
वि + आ + हृ (व्याहर) – बोलना
वि + तृ, (वितर) – देना, वितरित करना
वि + स्मृ (विस्मर) – भूल जाना
वि + हृ ( विहर) – मनोरंजन करना, विहार करना, खेलना
वि + लस् , चमकना
वृष् (वर्ष) – बरसना
वे (वय) – बुनना
शुच् (शोच) – शोक करना
श्रि (श्रय ) – आश्रय लेना
ष्ठिव् (ष्ठीव) – थूकना
सम् + वृ (संवर) – बन्द करना
सम् + हृ (संहर) – समेटना, एकत्र करना, संहार करना
सृ (सर) – सरकना, हिलना-जुलना
स्खल् – लड़खड़ाना
स्था (तिष्ठ) – ठहरना, खड़े होना, रुकना
स्फुट् (स्फोट ) – फूटना, फट जाना
स्मृ (स्मर) – स्मरण करना
हृ (हर) – चुराना, हरना, हरण करना
हृष् (हर्ष) – खुश होना
ह्वे (ह्वय) – बुलाना
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  • 2022/12/31 10:49
  • brahmantra