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अग्न्याशय (pancreas)

अग्न्याशय कशेरुकी जीवों की पाचन व अंतःस्रावी प्रणाली का एक ग्रंथि अंग है। ये इंसुलिन, ग्लुकागोन, व सोमाटोस्टाटिन जैसे कई ज़रूरी हार्मोन बनाने वाली अंतःस्रावी ग्रंथि है और साथ ही यह अग्न्याशयी रस निकालने वाली एक बहिःस्रावी ग्रंथि भी है, इस रस में पाचक किण्वक होते हैं जो लघ्वांत्र में जाते हैं। ये किण्वक अम्लान्न में कार्बोहाइड्रेट, प्रोटीन, व वसा का और भंजन करते हैं।

ऊतिकी सूक्ष्मदर्शी के नीचे, अग्न्याशय के दगे हुए काट में दो अलग तरह के मृदूतक (पैरेंकाइमा) ऊतक दिखते हैं। हल्के दाग वाली कोषिकाओं के झुंडों को आइलेट्स ऑफ़ लेंगर्हंस कहते हैं, ये वह हार्मोन बनाते है जो अग्न्याशय के अंतःस्रावी क्रियाकलापों को करते हैं। गाढ़े दाग वाली कोशिकाएँ गुच्छिक होती हैं जो बहिःस्रावी नलिकाओं से जुड़ती हैं। गुच्छिक कोषिकाएँ बहिःस्रावी अग्न्याशय का हिस्सा हैं और वे नलिकाओं की प्रणाली के जरिए आँतड़ियों में पाचक किण्वक रिसाती हैं।

कार्यकलाप अग्न्याशय एक द्वि-कार्यीय ग्रंथि है, इसमें अंतःस्रावी ग्रंथि व बहिःस्रावी ग्रंथियों - दोनों के कार्य होते हैं।

अंतःस्रावी मुख्य लेख: अंतःस्रावी अग्न्याशय अंतःस्रावी क्रियाकलापों वाला अग्न्याशय में कुछ १० लाख कोशिका झुंड हैं जिन्हें आइलेट्स ऑफ़ लेंगर्हांस कहते हैं। आइलेटों में चार मुख्य प्रकार की कोषिकाएँ हैं। मानक दागीकरण विधियों से इन्हें भिन्नित करना थोड़ा कठिन है, लेकिन इन्हें रिसाव के आधार पर वर्गीकृत किया जा सकता है: α - अल्फ़ा कोषिकाएँ ग्लूकागोन, β बीटा कोषिकाएँ इंसुलिन, δ डेल्टा कोषिकाएँ सोमाटोस्टेटिन और पीपी कोषिकाएँ अग्न्याशयी पौलीपेप्टाइड का रिसाव करती हैं।

आइलेट अंतःस्रावी कोषिकाओं का एक सघन समुच्चय है जो कि झुंडों और डोरियों में आयोजित होते हैं और इनके आसपास आड़ी तिरछी केशिकाओं का एक घना जाल होता है। आइलेटों की केशिकाओं में अंतःस्रावी कोशिकाओं की परतों का अस्तर होता है जो वाहिनियों से सीधे संपर्क में रहने के लिए साइटोप्लास्मी प्रक्रियाओं या सीधे एकान्वयन का प्रयोग करता है। एलन ई. नोर्स की शरीर नामक पुस्तक के अनुसार, ये आइलेट अथक रूप से अपने हार्मोन बनाने में लगे रहते है और आमतौर पर आसपास की अग्न्याशयी कोषिकाओं को नज़रंदाज़ करते हैं, मानो वे शरीर के बिल्कुल अलग ही अंग में हों।

बहिःस्रावी अंतःस्रावी अग्न्याशय रक्त में हार्मोनों का रिसाव करता है तो बहिःस्रावी अग्न्याशय, लघ्वांत्र के हार्मोनों सिक्रेटिन व कोलिसिस्टोकाइनिन की प्रतिक्रियास्वरूप, पाचक किण्वक और एक क्षारीय तरल अग्न्याशयी रस उत्पन्न करता है और बहिःस्रावी वाहिनियों के जरिए उनका लघ्वांत्र में रिसाव कर देता है। पाचक किण्वकों में ट्रिप्सिन, किमोट्रिप्सिन, अग्न्याशयी लाइपेस व अग्न्याशयी एमिलेस शामिल हैं और इनका उत्पादन और रिसाव बहिःस्रावी अग्न्याशय की गुच्छिक कोशिकाओं द्वारा होता है। अग्न्याशयी वाहिनियों के अस्तर कुछ खास कोषिकाओं के बने होते हैं, इन्हें सेंट्रोएसिनार कोशिकाएँ कहते हैं और ये बाइकार्बनेट व लवण में धनी घोल का लघ्वांत्र में रिसाव करती हैं।

नियंत्रण अग्न्याशय नियमित रूप से रक्त में हार्मोनों के जरिए व स्वचालित स्नायुतंत्र के जरिए नियमित रूप से तंत्रिका भरण प्राप्त करता रहता है। ये दोनो निविष्टियाँ अग्न्याशय की रिसाव गतिविधियों को नियंत्रित करती है।

भ्रूणविज्ञानीय विकास

अग्न्याशय भ्रूणीय अग्रांत्र से बनता है अतः यह अंतस्तत्वक मूल का है। अग्न्याशयी विकास की शुरुआत से उदरीय व पृष्ठीय मूलरूप (या कलियों) का निर्माण होता है। हर संरचना अंग्रांत्र से एक वाहिनी के जरिए संचार करती है। उदरीय अग्नयाशयी कली शिर व घुमावदार प्रक्रिया बनती है और यकृतीय छिद्र से निकलती है।

उदरीय व पृष्ठीय अग्न्याशयी कलियों का विभेदी घूर्णन व सम्मश्रण होने से स्पष्ट रूप से अग्न्याशय का निर्माण होता है। जैसे जैसे लघ्वांत्राग्र दाईं तरफ़ घूमता है, वह अपने साथ पृष्ठीय अग्न्याशयी कली व आम पित्त वाहिनी को साथ ले जाता है। अपने अंतिम गंतव्य तक पहुँचने के बाद उदरीय अग्न्याशयी कली अधिक बड़ी पृष्ठीय अग्न्याशयी कली के साथ सम्मिश्रित हो जाती है। सम्मिश्रण के समय उदरीय व पृष्ठीय अग्न्याशय की मुख्य वाहिनियाँ सम्मिश्रित हो जाती हैं और इससे विर्संग की वाहिनी बनती है जो कि मुख्य अग्न्याशयी वाहिनी है।

अग्न्याशय की कोशिकाओं का भिन्नीकरण दो अलग पथों से होता है, ये अग्न्याशय की दोहरे कार्यों - अंतःस्रावी व बहिःस्रावी के अनुरूप है। बहिःस्रावी अग्न्याशय की जनक कोषिकाओं में भिन्नीकरण करने वाले महत्त्वपूर्ण योगिक हैं फ़ोलिस्टेनिन, फ़िब्रोब्लास्ट विकास कारक व नॉच प्रापक प्रणाली। बहिःस्रावी गुच्छिकाओं का विकास तीन अवस्थाओं से गुज़रता है। ये हैं भिन्नीकरण-पूर्व, प्रारंभिक भिन्नीकृत, व भिन्नीकृत अवस्थाएँ, जो कि क्रमशः अनभिज्ञेय, कम व अधिक पाचन किण्वक गतिविधि दर्शाती हैं।

अंतःस्रावी अग्न्याशय की जनक कोशिकाएँ बहिःस्रावी अग्न्याशय की प्रारंभिक भिन्नीकृत अवस्था की कोशिकाएँ हैं। न्यूरोजेनिन-३ व आईएसएल-१ के प्रभाव में पर नॉच प्रापक संकेतन की अनुपस्थिति में, ये कोषिकाएँ भिन्नित हो के समर्पित अंतःस्रावी कोषिकाओं के जनकों की दो पंक्तियाँ बनाती हैं। पहली पंक्ति, पैक्स-० के निर्देश में अल्फ़ा व गामा कोषिकाएँ बनाती हैं, जो क्रमशः ग्लूकागोन व अग्न्याशयी पौलीपेप्टाइड नामक पेप्टाइड बनाती हैं। दूसरी पंक्ति पैक्स-६ से प्रभावित हो के बीटा व डेल्टा कोषिकाएँ बनाती हैं, जो क्रमशः इंसुलिन व सोमाटोस्टेटिन बनाती हैं।

भ्रूण के विकास के चौथे या पाँचवें मास में भ्रूण के परिसंचरण में इंसुलिन व ग्लूकागोन पाया जा सकता है।

  • PANCREAS
    • Head of pancreas
      • Uncinate process
      • Pancreatic notch
    • Neck of pancreas
      • Anterosuperior surface
      • Posterior surface
      • Antero-inferior surface
      • Superior border
      • Anterior border
      • Inferior border
      • Omental eminence
    • Pancreatic duct
      • Sphincter of pancreatic duct
    • Accessory pancreatic duct
    • (Accessory pancreas)
    • Pancreatic islets Langerhansi
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  • 2023/06/11 07:47
  • brahmantra