Table of Contents
Mind
MIND HEMISPHERES
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- मन का अनिश्चित तर्क (Indefinite logic of mind )
- COMPARTMENTS OF MIND
- Views
- Mind View's of reality or realism ( दार्शनिक यथार्थवाद )
- direct realism ( सहज बुद्धि यथार्थवाद , प्रत्यक्ष यथार्थवाद, सतत यथार्थवाद ) : यह विचार है कि इंद्रियां हमें वस्तुओं के बारे में प्रत्यक्ष जागरूकता प्रदान करती हैं जैसे वे वास्तव में हैं।
- Idealism
- reality is equivalent to mind, spirit, or consciousness
- Views of mind
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- द्वैतवाद (dualism) - दर्शन अथवा धर्म में इसका अर्थ पूजा अर्चना से लिया जाता है जिसके अनुसार प्रार्थना करने वाला और सुनने वाला दो अलग रूप हैं , द्वैतवाद के अनुसार सम्पूर्ण सृष्टि के अन्तिम सत् दो हैं|
- भौतिकवाद ( materialism) - दार्शनिक एकत्ववाद का एक प्रकार हैं, जिसका यह मत है कि प्रकृति में पदार्थ ही मूल द्रव्य है, और साथ ही, सभी दृग्विषय, जिस में मानसिक दृग्विषय और चेतना भी शामिल हैं, भौतिक परस्पर संक्रिया के परिणाम हैं। materialism holds that mental phenomena are identical to neuronal phenomena.
- आदर्शवाद या प्रत्ययवाद ( idealism ) - उन विचारों और मान्यताओं की समेकित विचारधारा है जिनके अनुसार इस जगत की समस्त वस्तुएँ विचार या चेतना की अभिव्यक्ति है | idealism holds that only mental phenomena exist.
- अद्वैत वेदान्त (Monism or nondualism) - शंकराचार्य मानते हैं कि संसार में ब्रह्म ही सत्य है, जगत् मिथ्या है, जीव और ब्रह्म अलग नहीं हैं | जीव केवल अज्ञान के कारण ही ब्रह्म को नहीं जान पाता जबकि ब्रह्म तो उसके ही अंदर विराजमान है। उन्होंने अपने ब्रह्मसूत्र में “अहं ब्रह्मास्मि” ऐसा कहकर अद्वैत सिद्धांत बताया है।
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- Mind (मन ) का वर्गीकरण
- सचेतन (conscious ) : यह मन का लगभग दसवां हिस्सा होता है, जिसमें स्वयं तथा वातावरण के बारे में जानकारी (चेतना) रहती है। दैनिक कार्यों में व्यक्ति मन के इसी भाग को व्यवहार में लाता है।
- अचेतन (unconscious ) : यह मन का लगभग 90 प्रतिशत हिस्सा है, जिसके कार्य के बारे में व्यक्ति को जानकारी नहीं रहती। यह मन की स्वस्थ एवं अस्वस्थ क्रियाओं पर प्रभाव डालता है। इसका बोध व्यक्ति को आने वाले सपनों से हो सकता है।
- अर्धचेतन या पूर्वचेतन (subconscious or semiconscious or preconscious ) : यह मन के सचेतन तथा अचेतन के बीच का हिस्सा है, जिसे मनुष्य चाहने पर इस्तेमाल कर सकता है, जैसे स्मरण-शक्ति का वह हिस्सा जिसे व्यक्ति प्रयास करके किसी घटना को याद करने में प्रयोग कर सकता है।
- Psych
- Id (मूल-प्रवृत्ति) : यह मन का वह भाग है, जिसमें मूल-प्रवृत्ति की इच्छाएं (जैसे कि उत्तरजीवित यौनता, आक्रामकता, भोजन आदि संबंधी इच्छाएं) रहती हैं, जो जल्दी ही संतुष्टि चाहती हैं तथा खुशी-गम के सिद्धांत पर आधारित होती हैं। ये इच्छाएं अतार्किक तथा अमौखिक होती हैं और चेतना में प्रवेश नहीं करतीं।
- Ego (अहम्) : यह मन का सचेतन भाग है जो मूल-प्रवृत्ति की इच्छाओं को वास्तविकता के अनुसार नियंत्रित करता है। इस पर सुपर-ईगो (परम अहम् या विवेक) का प्रभाव पड़ता है। इसका आधा भाग सचेतन तथा अचेतन रहता है। इसका प्रमुख कार्य मनुष्य को तनाव या चिंता से बचाना है। फ्रायड की मनोवैज्ञानिक पुत्री एना फ्रायड के अनुसार यह भाग डेढ़ वर्ष की आयु में उत्पन्न हो जाता है जिसका प्रमाण यह है कि इस आयु के बाद बच्चा अपने अंगों को पहचानने लगता है तथा उसमें अहम् भाव (स्वार्थीपन) उत्पन्न हो जाता है।
- Super-ego (विवेक; परम अहम्) : सामाजिक, नैतिक जरूरतों के अनुसार उत्पन्न होता है तथा अनुभव का हिस्सा बन जाता है। इसके अचेतन भाग को अहम्-आदर्श (ईगो-आइडियल) तथा सचेतन भाग को विवेक कहते हैं।
Mind
मन मस्तिष्क की उस क्षमता को कहते हैं जो मनुष्य को चिंतन शक्ति, स्मरण-शक्ति, निर्णय शक्ति, बुद्धि, भाव, इंद्रियाग्राह्यता, एकाग्रता, व्यवहार, परिज्ञान (अंतर्दृष्टि), इत्यादि में सक्षम बनाती है। सामान्य भाषा में मन शरीर का वह हिस्सा या प्रक्रिया है जो किसी ज्ञातव्य को ग्रहण करने, सोचने और समझने का कार्य करता है। यह मस्तिष्क का एक प्रकार्य है।
मन और इसके कार्य करने के विविध पहलुओं का मनोविज्ञान नामक ज्ञान की शाखा द्वारा अध्ययन किया जाता है। मानसिक स्वास्थ्य और मनोरोग किसी व्यक्ति के मन के सही ढंग से कार्य करने का विश्लेषण करते हैं। मनोविश्लेषण नामक शाखा मन के अन्दर छुपी उन जटिलताओं का उद्घाटन करने की विधा है जो मनोरोग अथवा मानसिक स्वास्थ्य में व्यवधान का कारण बनते हैं। वहीं मनोरोग चिकित्सा मानसिक स्वास्थ्य को पुनर्स्थापित करने की विधा है।
सामाजिक मनोविज्ञान किसी व्यक्ति द्वारा विभिन्न सामाजिक परिस्थितयों में उसके मानसिक व्यवहार का अध्ययन करती है। शिक्षा मनोविज्ञान उन सारे पहलुओं का अध्ययन करता है जो किसी व्यक्ति की शिक्षा में उसके मानसिक प्रकार्यों के द्वारा प्रभावित होते हैं।
जिसके द्वारा सब क्रियाकलापो को क्रियानवृत किया जाता है। उसे साधारण भाषा में मन कहते है।।
फ्रायड नामक मनोवैज्ञानिक ने बनावट के अनुसार मन को तीन भागों में वर्गीकृत किया गया था :
- सचेतन: यह मन का लगभग दसवां हिस्सा होता है, जिसमें स्वयं तथा वातावरण के बारे में जानकारी (चेतना) रहती है। दैनिक कार्यों में व्यक्ति मन के इसी भाग को व्यवहार में लाता है।
- अचेतन: यह मन का लगभग 90 प्रतिशत हिस्सा है, जिसके कार्य के बारे में व्यक्ति को जानकारी नहीं रहती। यह मन की स्वस्थ एवं अस्वस्थ क्रियाओं पर प्रभाव डालता है। इसका बोध व्यक्ति को आने वाले सपनों से हो सकता है। इसमें व्यक्ति की मूल-प्रवृत्ति से जुड़ी इच्छाएं जैसे कि भूख, प्यास, यौन इच्छाएं दबी रहती हैं। मनुष्य मन के इस भाग का सचेतन इस्तेमाल नहीं कर सकता। यदि इस भाग में दबी इच्छाएं नियंत्रण-शक्ति से बचकर प्रकट हो जाएं तो कई लक्षण उत्पन्न हो जाते हैं जो बाद में किसी मनोरोग का रूप ले लेते हैं।
- अर्धचेतन या पूर्वचेतन: यह मन के सचेतन तथा अचेतन के बीच का हिस्सा है, जिसे मनुष्य चाहने पर इस्तेमाल कर सकता है, जैसे स्मरण-शक्ति का वह हिस्सा जिसे व्यक्ति प्रयास करके किसी घटना को याद करने में प्रयोग कर सकता है।
फ्रायड ने कार्य के अनुसार भी मन को तीन मुख्य भागों में वर्गीकृत किया है।
- इड (मूल-प्रवृत्ति): यह मन का वह भाग है, जिसमें मूल-प्रवृत्ति की इच्छाएं (जैसे कि उत्तरजीवित यौनता, आक्रामकता, भोजन आदि संबंधी इच्छाएं) रहती हैं, जो जल्दी ही संतुष्टि चाहती हैं तथा खुशी-गम के सिद्धांत पर आधारित होती हैं। ये इच्छाएं अतार्किक तथा अमौखिक होती हैं और चेतना में प्रवेश नहीं करतीं।
- ईगो (अहम्): यह मन का सचेतन भाग है जो मूल-प्रवृत्ति की इच्छाओं को वास्तविकता के अनुसार नियंत्रित करता है। इस पर सुपर-ईगो (परम अहम् या विवेक) का प्रभाव पड़ता है। इसका आधा भाग सचेतन तथा अचेतन रहता है। इसका प्रमुख कार्य मनुष्य को तनाव या चिंता से बचाना है। फ्रायड की मनोवैज्ञानिक पुत्री एना फ्रायड के अनुसार यह भाग डेढ़ वर्ष की आयु में उत्पन्न हो जाता है जिसका प्रमाण यह है कि इस आयु के बाद बच्चा अपने अंगों को पहचानने लगता है तथा उसमें अहम् भाव (स्वार्थीपन) उत्पन्न हो जाता है।
- सुपर-ईगो (विवेक; परम अहम्): सामाजिक, नैतिक जरूरतों के अनुसार उत्पन्न होता है तथा अनुभव का हिस्सा बन जाता है। इसके अचेतन भाग को अहम्-आदर्श (ईगो-आइडियल) तथा सचेतन भाग को विवेक कहते हैं।
ईगो (अहम्) का मुख्य कार्य वास्तविकता, बुद्धि, चेतना, तर्क-शक्ति, स्मरण-शक्ति, निर्णय-शक्ति, इच्छा-शक्ति, अनुकूलन, समाकलन, भेद करने की प्रवृत्ति को विकसित करना है।
इन्द्र | intra | sanskrit | महेंद्र , कार्मेंद्रीय (organs of action) , ज्ञानेंद्रिया (sense organs ) , कामेंद्रिय (sexual organs ) , इंद्रिय (external organs) | ||
इच्छा | sanskrit | तमन्ना , मुराद ,मर्जी | इच्छाशक्ति (will ) , इच्छामृत्यु (willful death ) , अनैच्छिक (unwilling ) , इच्छुक | ||
आत्म (ātma-) | auto-, self- | Sanskrit - (reflexive) pronoun | (self)स्वयं | आत्महत्या (ātmahatyā) = suicide; आत्मज्ञान (ātmajñān) = self-knowledge; आत्मकथा (ātmakathā) = autobiography | |
कंठ | throat | sanskrit (कण्ठ) | कंठ | ||
करुणा | compassion | Sanskrit करुणा (karuṇā) | |||
कर्म | कृ - कर्म ( perform etc.”) Sanskrit कर्मन् (kárman). Doublet of काम (kām). | करतूत ,किया-धरा , काम | कर्मज ,कर्मा ,कर्मचारी (staff , employee) | ||
कलन | Sanskrit कलन (kalana, “calculation”). | calculus | परिकलन | ||
कला | Sanskrit कला (kalā) | कारीगरी , करने कि विद्या | चंद्रकला ,शिल्पकला , उपकला(epithelium), | ||
कल्प | think | sanskrit कॢप् (kḷp) + -अ (-a, nominalizing suffix) | विकल्प ,संकल्प (volition ) ,परिकल्पना (hypothesis) | ||
कल्मष | sanskrit | ||||
कीर्ति | sanskrit | अकीर्ति , कीर्तिकार | |||
कुशल | auspicious | सकुशल , अकुशल , कुशल मंगल | |||
क्रूर | cruel | Proto-Indo-European *kruh₂rós, from *krewh₂- (“raw meat, fresh blood”) | |||
क्रोश | cry | Proto-Indo-Iranian *krawć- (“to cry, to call out”). | आक्रोश | ||
क्रोध | anger | क्रुध्यति • (krúdhyati) (root क्रुध्, | |||
घोर | angry | From Proto-Indo-Aryan *gʰawrás, | अघोरी , | ||
चकित | amazed | possibly from चक्षु | चकित , चकना , चकाना , चौंकना | ||
चुम्ब | kiss | From चुम्ब् (cumb, “to kiss”, | चुम्मा , चूमना , चुम्मी , चुंबक , चुंबन | ||
चेष्ठा | try | possibly from चष्टे • (cáṣṭe) (root चक्ष्, | चेष्ठा | ||
चैत | conscience | Inherited from Sanskrit चेत्तृ (cettṛ). | चैतन्य , सचेत (conscious) , अचेत (unconscious) , अंतश्चेतना (inner consciousness ) , चिंतन (anxiety) , चेतना (consciousness) | ||
त्रुटि | error | error | From the root त्रुट् (truṭ). | ||
दया | pity | from Sanskrit दया (dayā). | निर्दय , दया , दयालु | ||
धीर | slow | from Sauraseni Prakrit 𑀥𑀻𑀭 (dhīra), from Sanskrit धीर (dhī́ra, “steady”). | धीरे , धैर्य , धीमा | ||