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bhagvatgita:chapter-1 [2022/01/12 04:24] – brahmantra | bhagvatgita:chapter-1 [2022/01/14 09:17] () – brahmantra | ||
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1. धृतराष्ट्र उवाच धर्मक्षेत्रे कुरुक्षेत्रे समवेता | 1. धृतराष्ट्र उवाच धर्मक्षेत्रे कुरुक्षेत्रे समवेता | ||
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2 संजय🤴 उवाच🗣 दृष्ट्वा 👁तु पाण्डवानीकं 🧜♂️व्यूढं दुर्योधनस्तदा । आचार्यमुपसंगम्य🏃♂️ राजा वचनमब्रवीत् 🗣॥१-२॥ | 2 संजय🤴 उवाच🗣 दृष्ट्वा 👁तु पाण्डवानीकं 🧜♂️व्यूढं दुर्योधनस्तदा । आचार्यमुपसंगम्य🏃♂️ राजा वचनमब्रवीत् 🗣॥१-२॥ | ||
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3 पश्यैतां पाण्डुपुत्राणामाचार्य महतीं चमूम् । व्यूढां द्रुपदपुत्रेण तव शिष्येण धीमता ॥ १-३॥ | 3 पश्यैतां पाण्डुपुत्राणामाचार्य महतीं चमूम् । व्यूढां द्रुपदपुत्रेण तव शिष्येण धीमता ॥ १-३॥ | ||
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4 अत्र शूरा महेष्वासा भीमार्जुनसमा युधि 🙅♂️। युयुधानो विराटश्च द्रुपदश्च महारथः🏇 ॥१-४॥ | 4 अत्र शूरा महेष्वासा भीमार्जुनसमा युधि 🙅♂️। युयुधानो विराटश्च द्रुपदश्च महारथः🏇 ॥१-४॥ | ||
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5 धृष्टकेतुश्चेकितानः काशिराजश्च वीर्यवान् । पुरुजित्कुन्तिभोजश्च शैब्यश्च नरपुङ्गवः ॥१-५॥ | 5 धृष्टकेतुश्चेकितानः काशिराजश्च वीर्यवान् । पुरुजित्कुन्तिभोजश्च शैब्यश्च नरपुङ्गवः ॥१-५॥ | ||
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6 युधामन्युश्च विक्रान्त उत्तमौजाश्च वीर्यवान् । सौभद्रो द्रौपदेयाश्च सर्व एव महारथाः 🏇॥१-६॥ | 6 युधामन्युश्च विक्रान्त उत्तमौजाश्च वीर्यवान् । सौभद्रो द्रौपदेयाश्च सर्व एव महारथाः 🏇॥१-६॥ | ||
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7 अस्माकं तु विशिष्टा ये तान्निबोध द्विजोत्तम । नायका मम सैन्यस्य संज्ञार्थं तान्ब्रवीमि ते ॥१-७॥ | 7 अस्माकं तु विशिष्टा ये तान्निबोध द्विजोत्तम । नायका मम सैन्यस्य संज्ञार्थं तान्ब्रवीमि ते ॥१-७॥ |