ORIGIN OF LANGUAGE STORY

पहले पूरे भूत में कुछ नहीं था सिर्फ शक्ति और चेतना थी , फिर एक विस्फोट हुया जिसके कारण स्वयंभू की उत्पत्ति हुई और उसमें से महाभूत पदार्थ कि उत्पत्ति हुई | इस भूत गर्भ से उत्पत्ति हुई भूत क्रिया , भूत भावना , भूत ज्ञान की | जब भूत क्रिया , भूत भावना और भूत ज्ञान एक हुए तब बना भूत कण , भूत कण एक रेखा में लगे जिसके कारण भूत रेखा बना , भूत रेखा विभाजित हुए और भूत स्तर बने , भूत स्तर विभाजित हुया और हिरण्यगर्भ/ भूतगर्भ बना जिसमें भूत कण और जल समा गए | इस भूतगर्भ से स्वः की उत्पत्ति हुई , स्वाहा से उत्पत्ति हुई अहम की और अहम से उत्पत्ति हुई ब्राह्मण की |

भूत इच्छा से उत्पत्ति हुई भव्य विचार की | इच्छा और भावना मिलकर भविष्य की उत्पत्ति हुई , इच्छा और भूत बनकर अनुभूति बने , इच्छा और भू मिलकर अनुभव की उत्पत्ति हुई | इच्छा और क्रिया के मिलन से बने कर्ता , कर्ता अपने कर्म से बना अच्छा या बुरा | भूत ज्ञान को भूत पथ पर भेजा गया , भूत पथ के वस्तु और क्रिया से ज्ञान अच्छा ज्ञान और बुरा ज्ञान बना |

ETYMOLOGY ABSTRACT PERSONIFICATION WITHOUT SKYLINE REVERSE FORM
अनुत्तर - represents unsurpassable Cit-sakti of Siva Energy
आनंद - represents - bliss Emotion
इच्छा - wish Emotion
ईश् - mastery Person
उन्मेष - high knowledge Knowledge
ऊन्नत - low knowledge Knowledge
र + इ = ऋ ( faint glimmer) Light
ॠ - fire (action) Energy
अनुत्तर + इच्छा = ए energy + emotion
अनुत्तर + ए = ऐ emotional energy + energy
अनुत्तर + उन्मेष = ओ energy + knowledge
अनुत्तर + ओ = औ energetic knowledge + energy
अं अहम with undivided knowledge person + knowledge
अः inner and outer manifestation persons inside + outside
पृथ्वी earth
जल water
अग्नि fire
वायु air
आकाश sky
शब्द word
रस juice
रूप form
स्पर्श touch
गंध smell
उपस्थ
पायु
पाद legs
पाणि hand
ड़ वक्त्र mouth
प्राण life
रसना
चक्षुष eye
त्वचा skin
श्रोत्र
मन mind
अहंकार ego
बुद्धि mind
प्रकृति nature
पुरुष male
इच्छा + अनुत्तर = य (राग )
विद्या
काल
उन्मेष + अनुत्तर = व (माया )
शुद्ध विद्या
महामाया
ईश्वरी
सदाशिव
क्ष पृथ्वी + शुद्ध विद्या = शक्ति
त्र प्राण + विद्या
ज्ञ रूप + गंध
श्र शुद्ध विद्या + विद्या
पञ्चमहाभूत पृथ्वी (earth ) , अप (water ) , अग्नि , वायु , आकाश
नाड़ तत्व, शिव zero , , Absolute doesn't consist of any desire (icchā), action (kriyā) or Knowledge (jnāna)
बिन्दु तत्व These two properties of Śiva-Śakti are known jnāna and kriyāa respectively
सदाशिव This tattva is responsible for the appearance of aham or self । knowledge and action are in equilibrium
ईश्वर
ज्ञानेन्द्रिय
कर्मेन्द्रिय
तन्मत्रा sound , smell , form , touch , taste
अन्तःकरण बुद्धि , मनस , अहंकार , प्रकृति , चित्त
सात्विक , रजस , तमस
कंचुक (cloak काल , नियति , राग , विद्या , माया