चक्कर (शिरोभ्रमण)

चक्कर आना मतलब स्थानिक बोध और स्थिरता में हानि या कमी आना हैं[1] यह शब्द अस्पष्ट माना जाता है। विभिन्न स्थितियों को एक ही नाम से पुकारे जाने के कारण,[2] यह घुमरी, मस्तिष्क में रक्ताल्पता, असंतुलन को या फिर कोई अविशिष्ट अनुभूति जैसे की चक्कर को दर्शाता है।[3][4]

यह अवस्था लंबे समय तक गोल घूमने (स्पिनिंग) से भी महसूस की जा सकती है।

घुमरी (वर्टिगो) एक विशिष्ट चिकित्सीय अवस्था है जिसमे या तो सिर घूमता हुआ प्रतीत होता है या चारो ओर की वस्तुएँ घूमती प्रतीत होती हैं। कई लोगों को सिर चकराना बहुत परेशान करता है और अक्सर मतली और उल्टी की परेशानी इसके साथ होती हैं . यह चक्कर आने वाली घटनाओं के मामलों का 25% का प्रतिनिधित्व करता है।[5] असंतुलन (डिसइक्वीलिब्रियम), असंतुलन की अनुभूति होती है और अक्सर किसी विशिष्ट दिशा में गिर जाने के लक्षण से विशेषित होती है इस हालत में अक्सर मतली या उल्टी के लक्षण नहीं रहते हैं मस्तिष्क की रक्ताल्पता (प्रीसिंकोप या लाइटहेडेडनेस) मांसपेशी की कमजोरी और मूर्छा की अनुभूति से जानी जाती है, यह सिंकोप जो की बेहोशी की अवस्था है उससे अलग होती हैं। गैर विशिष्ट चक्कर अक्सर मनोरोग से उत्पत्ति लेती हैं। यह बाकी कारणो के नहीं होने पर माना जाता है और कभी कभी तेज लंबी गहरी और निरंतर श्वांश (हाइपर्वेंटीलेसन) से भी शुरू हो सकती हैं।