grammar:valency

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Valency

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  1. impersonal (= avalent) it rains ,
  2. intransitive (monovalent/monadic) she sleeps
  3. transitive (divalent/dyadic) she kicks the ball
  4. ditransitive (trivalent/triadic) she gave him a book
  5. tritransitive (quadrivalent/quadradic) I bet her a dollar on a horse

1. सकर्मक क्रिया “जिस क्रिया का फल कर्ता पर न पड़कर कर्म पर पड़े, उसे ‘सकर्मक क्रिया’ (Transitive verb) कहते हैं।”

अतएव, यह आवश्यक है कि वाक्य की क्रिया अपने साथ कर्म लाये। यदि क्रिया अपने साथ कर्म नहीं लाती है तो वह अकर्मक ही कहलाएगी। नीचे लिखे वाक्यों को देखें : (i) प्रवर अनू पढ़ता है। (कर्म-विहीन क्रिया) - Anu reads (ii) प्रवर अनू पुस्तक पढ़ता है। (कर्मयुक्त क्रिया) - Anu reads a book

प्रथम और द्वितीय दोनों वाक्यों में ‘पढ़ना’ क्रिया का प्रयोग हुआ है; परन्तु प्रथम वाक्य की क्रिया अपने साथ कर्म न लाने के कारण अकर्मक हुई, जबकि द्वितीय वाक्य की वही क्रिया अपने साथ कर्म लाने के कारण सकर्मक हुई।

2. अकर्मक क्रिया “वह क्रिया, जो अपने साथ कर्म नहीं लाये अर्थात् जिस क्रिया का फल या व्यापार कर्ता पर ही पड़े, वह अकर्मक क्रिया (Intransitive Verb) कहलाती है।” जैसे- उल्लू दिनभर सोता है।

इस वाक्य में ‘सोना’ क्रिया का व्यापार उल्लू (जो कर्ता है) ही करता है और वही सोता भी है। इसलिए ‘सोना’ क्रिया अकर्मक हुई। कुछ क्रियाएँ अकर्मक सकर्मक दोनों होती हैं। नीचे लिखे उदाहरणों को देखें-

  1. उसका सिर खुजलाता है। (अकर्मक) - His head Itches (symptom / feeling )
  2. वह अपना सिर खुजलाता है। (सकर्मक) - He scratches his head ( reflex action )
  3. जी घबराता है। (अकर्मक) - his heart fears
  4. विपत्ति मुझे घबराती है। (सकर्मक) -
  5. बूंद-बूंद से तालाब भरता है। (अकर्मक) - drop and drop fills an ocean
  6. उसने आँखें भर के कहा (सकर्मक) - he filled his eyes and said
  7. गिलास भरा है। (अकर्मक) - the glass if filled
  8. हमने गिलास भरा है। (सकर्मक) - We filled the glass

जब कोई अकर्मक क्रिया अपने ही धातु से बना हुआ या उससे मिलता-जुलता सजातीय कर्म चाहती है तब वह सकर्मक कहलाती है। जैसे- सिपाही रोज एक लम्बी दौड़ दौड़ता है। भारतीय सेना अच्छी लड़ाई लड़ना जानती है/लड़ती है।

Kriya in Hindi | क्रिया की परिभाषा, भेद, और उदाहरण – हिन्दी व्याकरण October 14, 2021 by Prasanna

kriya in Hindi ( क्रिया )

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Kriya ki Paribhasha, Prakar, Bhed aur Udaharan (Examples) in Hindi Grammar Kriya Kise Kahate Hain (What is Kriya in Hindi) – क्रिया इन हिंदी परिभाषा, धातु, मूल, क्रिया, प्रकार, प्रयोग, काल, भेद, परिवर्तन, वाच्य, प्रकार, वाच्य, परिवर्तन.

क्रिया वाक्य को पूर्ण बनाती है। इसे ही वाक्य का ‘विधेय’ कहा जाता है। वाक्य में किसी काम के करने या होने का भाव क्रिया ही बताती है। अतएव, ‘जिससे काम का होना या करना समझा जाय, उसे ही ‘क्रिया’ कहते हैं।’ जैसे-

लड़का मन से पढ़ता है और परीक्षा पास करता है।

उक्त वाक्य में ‘पढ़ता है’ और ‘पास करता है’ क्रियापद हैं।

1. क्रिया का सामान्य रूप ‘ना’ अन्तवाला होता है। यानी क्रिया के सामान्य रूप में ‘ना’ लगा रहता है।

जैसे- खाना : खा पढ़ना : पढ़ सुनना : सुन लिखना : लिख आदि।

नोट : यदि किसी काम या व्यापार का बोध न हो तो ‘ना’ अन्तवाले शब्द क्रिया नहीं कहला सकते। जैसे- सोना महँगा है। (एक धातु है) वह व्यक्ति एक आँख से काना है। (विशेषण) उसका दाना बड़ा ही पुष्ट है। (संज्ञा)

2. क्रिया का साधारण रूप क्रियार्थक संज्ञा का काम भी करता है। जैसे- सुबह का टहलना बड़ा ही अच्छा होता है। इस वाक्य में ‘टहलना’ क्रिया नहीं है। निम्नलिखित क्रियाओं के सामान्य रूपों का प्रयोग क्रियार्थक संज्ञा के रूप में करें :

नहाना कहना गलना रगड़ना सोचना हँसना देखना बचना धकेलना रोना निम्नलिखित वाक्यों में प्रयुक्त क्रियार्थक संज्ञाओं को रेखांकित करें : 1. माता से बच्चों का रोना देखा नहीं जाता। 2. अपने माता-पिता का कहना मानो। 3. कौन देखता है मेरा तिल-तिल करके जीना। 4. हँसना जीवन के लिए बहुत जरूरी है। 5. यहाँ का रहना मुझे पसंद नहीं।। 6. घर जमाई बनकर रहना अपमान का घूट पीना है। 7. मजदूरों का जीना भी कोई जीना है? 8. सर्वशिक्षा अभियान का चलना बकवास नहीं तो और क्या है? 9. बड़ों से उनका अनुभव जानना जीने का आधार बनता है। 10. गाँधी को भला-बुरा कहना देश का अपमान करना है।

मुख्यतः क्रिया के दो प्रकार होते हैं- Types of Kriya in Hindi Grammar

1. सकर्मक क्रिया “जिस क्रिया का फल कर्ता पर न पड़कर कर्म पर पड़े, उसे ‘सकर्मक क्रिया’ (Transitive verb) कहते हैं।”

अतएव, यह आवश्यक है कि वाक्य की क्रिया अपने साथ कर्म लाये। यदि क्रिया अपने साथ कर्म नहीं लाती है तो वह अकर्मक ही कहलाएगी। नीचे लिखे वाक्यों को देखें : (i) प्रवर अनू पढ़ता है। (कर्म-विहीन क्रिया) (ii) प्रवर अनू पुस्तक पढ़ता है। (कर्मयुक्त क्रिया)

प्रथम और द्वितीय दोनों वाक्यों में ‘पढ़ना’ क्रिया का प्रयोग हुआ है; परन्तु प्रथम वाक्य की क्रिया अपने साथ कर्म न लाने के कारण अकर्मक हुई, जबकि द्वितीय वाक्य की वही क्रिया अपने साथ कर्म लाने के कारण सकर्मक हुई।

2. अकर्मक क्रिया “वह क्रिया, जो अपने साथ कर्म नहीं लाये अर्थात् जिस क्रिया का फल या व्यापार कर्ता पर ही पड़े, वह अकर्मक क्रिया (Intransitive Verb) कहलाती है।” जैसे- उल्लू दिनभर सोता है।

इस वाक्य में ‘सोना’ क्रिया का व्यापार उल्लू (जो कर्ता है) ही करता है और वही सोता भी है। इसलिए ‘सोना’ क्रिया अकर्मक हुई। कुछ क्रियाएँ अकर्मक सकर्मक दोनों होती हैं। नीचे लिखे उदाहरणों को देखें- 1. उसका सिर खुजलाता है। (अकर्मक) 2. वह अपना सिर खुजलाता है। (सकर्मक) 3. जी घबराता है। (अकर्मक) 4. विपत्ति मुझे घबराती है। (सकर्मक) 5. बूंद-बूंद से तालाब भरता है। (अकर्मक) 6. उसने आँखें भर के कहा (सकर्मक) 7. गिलास भरा है। (अकर्मक) 8. हमने गिलास भरा है। (सकर्मक)

जब कोई अकर्मक क्रिया अपने ही धातु से बना हुआ या उससे मिलता-जुलता सजातीय कर्म चाहती है तब वह सकर्मक कहलाती है। जैसे- सिपाही रोज एक लम्बी दौड़ दौड़ता है। भारतीय सेना अच्छी लड़ाई लड़ना जानती है/लड़ती है।

यदि कर्म की विवक्षा न रहे, यानी क्रिया का केवल कार्य ही प्रकट हो, तो सकर्मक क्रिया भी अकर्मक-सी हो जाती है। जैसे- ईश्वर की कृपा से बहरा सुनता है और अंधा देखता है।

एक प्रेरणार्थक क्रिया होती है, जो सदैव सकर्मक ही होती है। जब धातु में आना, वाना, लाना या लवाना, जोड़ा जाता है तब वह धातु ‘प्रेरणार्थक क्रिया’ का रूप धारण कर लेता है। इसके दो रूप होते हैं :

धातु – प्रथम प्रेरणार्थक – द्वितीय प्रेरणार्थक

  • हँस – हँसाना – हँसवाना
  • जि – जिलाना – जिलवाना
  • सुन – सुनाना – सुनवाना
  • धो – धुलाना – धुलवाना

शेष में आप आना, वाना, लाना, लवाना, जोड़कर प्रेरणार्थक रूप बनाएँ : कह पढ़ जल मल भर गल सोच बन देख निकल रह पी रट छोड़ जा भेजना भिजवाना टूट तोड़ना तुड़वाना अर्थात् जब किसी क्रिया को कर्ता कारक स्वयं नहीं करके किसी अन्य को करने के लिए प्रेरित करे तब वह क्रिया ‘प्रेरणार्थक क्रिया’ कहलाती है।

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  • 2021/12/08 08:23
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